अकेलेपन से एकांत की ओर


'अकेलापन' इस संसार में
सबसे बड़ी सज़ा है.!
और 'एकांत'
सबसे बड़ा वरदान.!

ये दो समानार्थी दिखने वाले
शब्दों के अर्थ में
आकाश पाताल का अंतर है।

अकेलेपन में छटपटाहट है,
एकांत में आराम.!

अकेलेपन में घबराहट है,
एकांत में शांति।

जब तक हमारी नज़र
बाहरकी ओर है
तब तक हम
अकेलापन महसूस करते हैं.!

जैसे ही नज़र
भीतर की ओर मुड़ी,
तो एकांत
अनुभव होने लगता है।

ये जीवन और कुछ नहीं,
वस्तुतः
अकेलेपन से एकांत की ओर
एक यात्रा ही है.!

ऐसी यात्रा जिसमें,
रास्ता भी हम हैं,
राही भी हम हैं और
मंज़िल भी हम ही हैं.!!

A Poem of Hope and Wisdom - Pal Do Pal Ka Shayar



This beautiful nazm (poem) by Sahir Ludhiyanvi was used so well in 1976 film Kabhi Kabhi. I am capturing the translation of a part of the poem for those who do not know Hindi. Let me start by singing a few lines from this beautiful song - click on the video below to listen to it.



I'm a poet only for a moment or two,
My story will last only for a moment or two,
My existence will last only for a moment or two,
My youth will last only for a moment or two..

So many poets came before and left,
Some cried and returned,
Some sang poems and left,
They were part of the moment,
Like I'm a part of the moment,
Like them I'll go away tomorrow,
Though I'm a part of your present today..

A few more will come tomorrow,
Who will pick blossoming songs,
better narrators than me,
better listeners than you,
I wish you will remember me,
But why would you?
Why would this busy world,
Waste its time for me?

कल नई कोंपलें फूटेंगी
कल नए फूल मुस्काएंगे
और नई घास के नए फर्श पर 
नए पांव  इठलाएंगे
वो मेरे बीच नहीं आए
मैं उनके बीच में क्यों आऊं
उनकी सुबह और शामों का 
मैं एक भी लम्हा क्यों पाऊँ

मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ ...

मुझसे पहले कितने शायर
आए और आकर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए
कुछ नग़मे गाकर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा था
मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा
वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ ...

कल और आएंगे नग़मों की
खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझसे बेहतर कहने वाले
तुमसे बेहतर सुनने वाले
कल कोई मुझको याद करे
क्यूँ कोई मुझको याद करे
मसरूफ़ ज़माना मेरे लिये
क्यूँ वक़्त अपना बरबाद करे

मैं पल दो पल का शायर हूँ ...

मैं हर इक पल का शायर हूँ
हर इक पल मेरी कहानी है
हर इक पल मेरी हस्ती है
हर इक पल मेरी जवानी है
मैं हर इक पल का शायर हूँ

रिश्तों का रूप बदलता है, 
बुनियादें खत्म नहीं होतीं
ख़्वाबों और उमँगों की 
मियादें खत्म नहीं होतीं
इक फूल में तेरा रूप बसा, 
इक फूल में मेरी जवानी है
इक चेहरा तेरी निशानी है, 
इक चेहरा मेरी निशानी है
मैं हर इक पल का शायर हूँ

तुझको मुझको जीवन अम्रित 
अब इन हाथों से पीना है
इनकी धड़कन में बसना है, 
इनकी साँसों में जीना है
तू अपनी अदाएं बक्ष इन्हें, 
मैं अपनी वफ़ाएं देता हूँ
जो अपने लिए सोचीं थी कभी, 
वो सारी दुआएं देता हूँ

मैं हर इक पल का शायर हूँ