In today's world, we see unhappiness all around us. What is the root cause of this unhappiness? इस दुःख का मूल कारण क्या है ?
इसका जवाब ढूँढने के लिए आइये हम मिलकर एक काल्पनिक प्रयोग करें |
कुछ पलों के लिए कल्पना करें कि आप बाज़ार गए और वहां से आपने एक फूलदान पचास रूपए में और एक फूलों का गुलदस्ता दो सौ रुपये में खरीदा।
गुलदस्ते के फूल जो अधिक कीमती हैं, दो दिन बाद मुरझा जाते हैं, तो क्या हम दुखी होंगे?
शायद नहीं, क्योंकि ऐसा होने वाला ही हैं, यह हमें पता ही था।
और यदि घर लाने के एक सप्ताह बाद कांच का फूलदान गिर कर टूट जाए, तो क्या हम दुखी होंगे?
निसंदेह हम दुखी होंगे क्योंकि इतनी जल्दी फूलदान टूट जायेगा ऐसी हमें कल्पना भी नहीं थीं।
फूलदान के इतने जल्दी अंत की हमें अपेक्षा ही नहीं थीं, तो इसका टूटना हमारे लिए दुःख का सबब बना। परंतु फूलों का मुरझाना अपेक्षित था, इसलिए वह दुःख का कारण नहीं बना ।
इस छोटे से प्रयोग से हमें बहुत बड़ा सबक मिलता है जो इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारे दुःख का मूल कारण (Root Cause of Unhappiness) क्या है | Expectations, या अपेक्षा ही हमारे दुखों की जड़ है | जिसके लिए जितनी अपेक्षा ज़्यादा, उसकी तरफ़ से उतना दुःख ज़्यादा और जिसके लिए जितनी अपेक्षा कम, उसके लिए उतना ही दुःख भी कम !!
तो क्यों न हम खुश रहने के लिए अपनी अपेक्षाओं पर नियंत्रण करना सीखें ?
If you want to be happy, control your expectations.
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Thanks a lot Dinesh Vashist for sending this great thought.
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