एक दिन देखता हूँ कि मोबाइल चलते-चलते कभी धीरे चलने लगता है, तो कभी हैंग होने लगता है।
एक जानकार ने बताया इसे हलका करना जरूरी है, फोन ओवरलोड हो गया है। इसलिए चलने में दिक्कत करता है।
मैंने बेकार की तस्वीरें, फाइलें, डाटा डीलीट कर दिये। चमत्कार सा हो गया। फोन चलने ही नहीं, दौड़ने लग गया।
फोन क्या चलने लगा, दिमाग का इंजन दौड़ने लगा।
मन में आया कि यदि अनपेक्षित सामाग्री मिटाने से एक निर्जीव फोन तीव्र गति से चल सकता है, तो मन में भरी हुई, जमी हुई अनावश्यक यादगारें, अप्रिय घटनाएँ, वैर विरोध की भावनाएँ आदि-आदि सारी नकारात्मकताएँ मिटा दी जाएँ, भूला दी जाएं, तो आत्मा का पट सद्विचारों, सकारात्मकताओं के लिए खाली हो जाए।
जीवन बहुत छोटा है। क्यों न नकारात्मक विचारों के कचरे को मन से डिलीट कर के जीवन को खुल कर आनन्द से जिया जाए?