The following ghazal will bring a smile on your face if you are a Jagjeet Singh fan. Did you know that Ameer Meenai wrote it?
सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता आहिस्ता
हमारे और तुम्हारे प्यार में बस फर्क है इतना
इधर तो जल्दी जल्दी है उधर आहिस्ता आहिस्ता
Another popular ghazal from him:
उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूं
ढुंढने उसको चला हूँ जिसे पा भी न सकूं
मेहरबान होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी ना सकूं
Here is one more:
हंस के फरमाते हैं वो देख कर हालत मेरी
क्यों तुम आसान समझते थे मुहब्बत मेरी
यार पहलू में है तन्हाई है कह दो निकले
आज क्यों दिल में छुपी बैठी है हसरत मेरी
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