7 Habits of Highly Effective People


I have been very deeply influenced by this landmark book from Stefen Covey. In fact, I read it over and over again, till I got the hang of it. It was great to meet Stefen in person when he visited Delhi and arranged a seminar on his work.

People who follow the principles advocated in the 7 habits book seem to be happier, and more in control. It is not because they are lucky, but because they have have taken control of their own lives. Here are the seven habits described by Stefen:

Habit 1: Be Proactive

Take responsibility for whatever is happening in our life. No matter what is the situation, we have the ability to choose our response to it.

Habit 2: Begin with the end in Mind
Decide our mission in life by discovering our mission statement. This will have both the vision and the values. This tells us what are the most important things in our life.

Habit 3: First Things First

Devote maximum time to the most important things in our life (The first things). The definition of important comes from habit 2. If important tasks are taken care of proactively, they will never become urgent, and we will be more in control of our life and schedule.

Habit 4: Think win-win

Approach inter-personal situation with a win-win mindset. Do not try to achieve 'victory' at the cost of others.

Habit 5: Try to understand first, then seek to be understood
Have focus on listening and emphatic understanding of other's point of view before we put forward our own point.

Habit 6: Synergise
Try to work with others such that the outcome is much better than what it would be if we would have worked separately.

Habit 7: Sharpen the Saw
Countinuously make efforts to improve in all four dimensions of our life. Physical, Mental, Emotional, and Spiritual.

जीवन में सहने का अभ्यास जरूरी है।


Very interesting article that points out how important it is to face difficulties to be successful.

जीवन की रक्षा के लिए भी सहना जरूरी है। बॉयलजी के अनुसार जीव-जंतुओं की वे ही प्रजातियां अपना अस्तित्व सुरक्षित रख सकती हैं जिनमें हर परिस्थिति और चुनौती को झेलने की क्षमता होती है। डार्विन के 'सर्वाइवल ऑफ दि फिटेस्ट' के सिद्धांत का भी यही मतलब है।

हर व्यक्ति को अपने जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करना होता है। यह एक सार्वभौम नियम है। इसमें कोई अपवाद नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार हरेक के जीवन में समस्याएं आती हैं, लेकिन जो लोग सहनशीलता का कवच धारण कर लेते हैं, उनके लिए समस्याएं भी समाधान बन जाती हैं। जो तत्व उनकी प्रगति में बाधक होते हैं, वे भी साधक और सहयोगी बन जाते हैं। इसके विपरीत जिनकी मनोवृत्ति सुविधावादी हो जाती है, उनके लिए छोटी-सी प्रतिकूलता को भी सहना कठिन हो जाता है। आज दुनिया के जिन राष्ट्रों में सुख-सुविधा के साधनों का तेजी विस्तार हो रहा है, वहां लोगों की सहन करने की क्षमता घटती जा रही है। जिसके फलस्वरूप वहां नाना प्रकार के मनोरोगों की वृद्धि हो रही है और आत्महत्या के आंकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं।

कुछ लोग कठिनाइयों से घबराकर अपना मार्ग बदलते रहते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में कभी भी शांति और सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। जहां किसी प्रकार की कठिनाई और समस्या नहीं हो, इस प्रकार के जीवन की कल्पना एक दिवास्वप्न से अधिक कुछ नहीं है। इस बात को एक कथा से समझा जा सकता है। एक राजा अपने मंत्री के साथ जंगल में नंगे पांव घूम रहा था। वहां बहुत कांटे थे। इससे राजा के पांव लहूलुहान हो गए। इस पर राजा ने मंत्री से कहा- मेरे राज्य में इतने कांटे हैं, मुझे इसका पता नहीं था। मेरे प्रजाजनों को आते-जाते बहुत कष्ट होता होगा। मैं चाहता हूं कि राज्य की सारी धरती पर वस्त्र बिछा दिया जाए, ताकि किसी को असुविधा नहीं हो। मंत्री बुद्धिमान था। उसने कहा- महाराज! सारी भूमि को वस्त्र से ढकना संभव नहीं है। अलबत्ता सबके पांवों को कपड़े से ढका जा सकता है। राजा इस प्रस्ताव से बहुत प्रसन्न हुआ और सबने जूते पहनने शुरू कर दिए। मनुष्य का मन ही इस कहानी में वर्णित राजा और मंत्री है। मनुष्य कठिनाइयों के कांटों और तकलीफों से रहित जीवन की खोज करता है, लेकिन सहनशीलता की छतरी और जूते धारण किए बिना उसकी खोज सफल नहीं हो सकती।

विश्व में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन्होंने नाना प्रकार के अवरोधों और संघर्षों का सामना करने के बाद ही सफलता पाई है। जिस प्रकार आग में तपने से सोने की आभा में नया निखार आता है, उसी प्रकार संघर्षों की आग में मनुष्य का आभामंडल और अधिक तेजस्वी और प्रभावशाली हो जाता है। आज हर युवक अपने व्यक्तित्व का विकास चाहता है। पर इसके लिए सहना और तपना जरूरी है। अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध वाक्य है-'फर्स्ट डिजर्व, देन डिजायर' यानी पहले योग्य बनो, बाद में सफलता की कामना करो। जो अपने जीवन में प्रगति चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे इस वाक्य का मनन और अनुसरण करें। अधिकतर लोग तपस्या से बचने के लिए 'शॉर्टकट' तरीके की खोज करते हैं। हो सकता है कि शॉर्टकट से सफलता मिल जाए, पर ऐसी सफलता क्षणिक होती है। साथ ही, इसके दूरगामी परिणाम हानिकारक होते हैं।

असल में सहनशील बनकर व्यक्ति हर समस्या को झेलने में सफल हो जाता है। किसी भी कार्य के आरंभ में अवरोधों का सामना करना होता है। जो उनसे विचलित हो जाते हैं वे अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो सकते। जो धीरज से आगे बढ़ते हैं वे उन अवरोधों का निराकरण खोजने में सफल हो जाते हैं।

Footprints..



One day a man was having a conversation with God when his whole life flashed before his eyes as a series of footsteps on the sands of time.

He saw that there were two pairs of footprints, but during the most difficult periods of his life there were only one set of footprints.

He asked God, "You said you will be with me throughout this journey, but why have you deserted me during the most critical times of my life?"

God answered "Son, I did not desert you, I was always with you"

"Then where are the footprints?", he asked.

"You see only one set of footprints because during those difficult times in your life, I was carrying you in my hands"