ये जिंदगी है यारों

कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में कटेगी,
ये जिंदगी है यारों, पल-पल घटेगी !

बार बार रफू करता रहता हूँ,
जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं,
खुशियों के कुछ लम्हें !!

ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही,
ख़्वाहिशों का है,
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !

खटखटाते रहिए दरवाजा,
एक दूसरे के मन का,
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !

उड़ जाएंगे एक दिन,
तस्वीर से रंगों की तरह,
हम वक्त की टहनी पर,
बेठे हैं परिंदों की तरह !

ना राज़ है ज़िन्दगी,
ना नाराज़ है ज़िन्दगी,
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!

जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये,
पर बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !

पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं,
फिर भी क्यों चिंता करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों, पल-पल घटेगी !

उसे कहना ज़रूर

कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर
न करना  वक्त  का इंतज़ार
न होना  मगरूर ।

जब  पिता  का किया  कुछ
दिल को  छू जाये
तो जाकर  गले उनके
लगना  ज़रूर।
कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर

बनाये जब  माँ  कुछ तुम्हारे मन का
कांपते हाथों  को
चूम लेना ज़रूर।
कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर

जब अस्त व्यस्त  होके  बीबी
भूल कर  खुद को
घर  संवारती नज़र  आये
तो धीरे  से उसके कानों में
"बहुत  खूबसूरत  हो "कहना ज़रूर
कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर

आये जूझ  कर दुनिया  से
हमसफर जब भी
सुकून  भरे कुछ  पल साथ
गुजारना  ज़रूर ।
कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर

बच्चों को  लगा कर गले
जब तब
व्यस्त  हूँ  पर दूर नहीं  इक पल भी
ये बतलाना  ज़रूर ।
कभी  जो आये मन में  कोई  बात  
उसे  कहना  ज़रूर

जड़ें  कितनी भी गहरी  हों
रिश्तों की सीने में
पनपते रहने की खातिर वक्त वे वक्त
इज़हार की बौछार  करना ज़रूर
कभी  जो आये .......

नहीं  भरोसा  वक्त  का 
साथ किसी  का कब  छूट  जाये
कोई अपना  न जाने  कब रूठ  जाये
तबादला  हो जाये दिल या  दुनिया  से किसी  का
उससे  पहले  दिल की बात
पहुंचाना ज़रूर ।

न करना  वक्त का इंतज़ार
न होना मगरूर
कभी जो आये , मन में
कोई बात उसे कहना ज़रूर

The Root Cause of Unhappiness

 


In today's world, we see unhappiness all around us. What is the root cause of this unhappiness? इस दुःख का मूल कारण क्या है ?

इसका जवाब ढूँढने के लिए आइये हम मिलकर एक काल्पनिक प्रयोग करें |

Benchmark Bouquets Big Blooms, With Vase (Fresh Cut Flowers)कुछ पलों के लिए कल्पना करें कि आप बाज़ार गए और वहां से आपने एक फूलदान पचास रूपए में और एक फूलों का गुलदस्ता दो सौ रुपये में खरीदा।

गुलदस्ते के फूल जो अधिक कीमती हैं, दो दिन बाद मुरझा जाते हैं, तो क्या हम दुखी होंगे?

शायद नहीं, क्योंकि ऐसा होने वाला ही हैं, यह हमें पता ही था।

और यदि घर लाने के एक सप्ताह बाद कांच का फूलदान गिर कर टूट जाए, तो क्या हम दुखी होंगे?

निसंदेह हम दुखी होंगे क्योंकि इतनी जल्दी फूलदान टूट जायेगा ऐसी हमें कल्पना भी नहीं थीं।

फूलदान के इतने जल्दी अंत की हमें अपेक्षा ही नहीं थीं, तो इसका टूटना हमारे लिए दुःख का सबब बना। परंतु​ फूलों का मुरझाना अपेक्षित था, इसलिए​ वह दुःख का कारण नहीं बना ।

इस छोटे से प्रयोग से हमें बहुत बड़ा सबक मिलता है जो इस प्रश्न का उत्तर है कि हमारे दुःख का मूल कारण (Root Cause of Unhappiness) क्या है | Expectations, या अपेक्षा ही हमारे दुखों की जड़ है | जिसके लिए जितनी अपेक्षा ज़्यादा, उसकी तरफ़ से उतना दुःख ज़्यादा और जिसके लिए जितनी अपेक्षा कम, उसके लिए उतना ही दुःख भी कम !!

तो क्यों न हम खुश रहने के लिए अपनी अपेक्षाओं पर नियंत्रण करना सीखें ?
If you want to be happy, control your expectations.     


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Thanks a lot Dinesh Vashist for sending this great thought.