तुझे याद हो कि न याद हो - अर्श मलसियानी


I came to know about Arsh Malsiyani recently, and took an instant liking to his shayari. Here is some great shayari by Arsh Malsiyani

जो धर्म पे बीती देख चुके, 

इमां पे जो गुजरी जान चुके

इस रामो-रहीम की दुनिया में, 

इंसान का जीना मुश्किल है


वो राह सुझाते  हैं, हमें हजरते-रहबर

जिस राह पे उनको कभी चलते नहीं देखा


अपनी निगाहें-शोख से छुपिये तो जानिये

महफ़िल में हमसे आपने पर्दा किया तो क्या 


पहला सा वह जनून-ए-मुहब्बत नहीं रहा

कुछ-कुछ संभल गए हैं तुम्हारी दुआ से हम 


तेरी दोस्ती पे मेरा यकीं, 

मुझे याद है मेरे हमनशीं

मेरी दोस्ती पे तेरा गुमां, 

तुझे याद हो कि न याद हो