मतदान - गणतंत्र का सर्वप्रथम त्यौहार


आज हमारे यहाँ चुनाव के लिए मतदान था। वोट डालते समय एक विचित्र सी सुखद अनुभूति हुई।  मन में ये विचार आया कि यही तो है हमारे गणतंत्र की शक्ति और इसका सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार। 

कभी कभी हम अपने आस पास की स्थिति या घटनाओं से नाखुश होकर यह मान बैठते हैं कि कुछ नहीं सुधरने वाला यहाँ। परन्तु यदि विचार करके देखें तो ये सिस्टम ऐसा है कि जिसमे किसी भी सुधार करने का बटन हमारे ही हाथ में दिया हुआ है। ये सब वाकई बहुत सरल है और इसे भली भांति समझना हम सभी के लिए जरुरी है। 

आप पूछेंगे कि मेरे हाथ में कौन सा  बटन है भला? मेरी सड़क ख़राब है, मैं कौन से बटन को दबा कर इसे ठीक करवा सकता हूँ? 

यह बात बिलकुल सही है कि ये सब सुधार मेरे और आपके सीधे अधिकार क्षेत्र (Direct Circle of Influence) में नहीं आते हैं। परन्तु ये बात तो आप मानेंगे कि हमारे नेता जैसे पार्षद, मेयर, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्य मंत्री, प्रधान मंत्री के अधिकार क्षेत्र में वे सभी चीज़े आती हैं जो हमारे प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित करती हैं। कहने का अर्थ यह कि सभी स्तरों पर सकारात्मक प्रगति लाने की क्षमता हमारे माननीय नेता गण की है, और यह एक जिम्मेदारी भी बनती है उनकी। 

और गणतंत्र हमें इस बात का अधिकार देता है की हम सभी प्रत्याशियों का अपने विवेक से आकलन कर उस प्रत्याशी को वोट दें जो हमें इस कार्य के लिए सबसे उचित लगे। नगर निकाय से लेकर संसद तक बड़े से बड़े पद के लिए व्यक्ति के चुनाव में हम अपना योगदान देते हैं जब हम वोटिंग मशीन का बटन दबाते हैं। 

तो है न ये powerful बटन हमारे पास जिसे दबा कर हम अपने क्षेत्र, राज्य, देश को मनमानी दिशा देने में सहयोग कर सकते हैं? ये कोई जरुरी नहीं की जो issue मेरे लिए महत्वपूर्ण है वह औरो के लिए भी हो। परन्तु मैं अपना वोट देते समय यह ध्यान रखूं कि मेरे issue का समाधान करने के लिए कौन सबसे योग्य है। इसके लिए यह भी जरुरी है कि मैं अपने क्षेत्र के प्रत्याशियों के बारे में जानकारी रखूं और उनसे बिलकुल अनजान न रहूँ। 

परन्तु याद रहे कि यदि यह एक अधिकार हमारे पास है, तो साथ ही एक जिम्मेदारी भी बनती है कि वोट जरुर करूँ। आज भी लगभग तीस प्रतिशत लोग वोट डालने नहीं आते हैं। इसका अर्थ है कि वे न सिर्फ अपने महत्वपूर्ण कर्तव्य को अनदेखा कर रहे हैं, बल्कि अपने पास जो अधिकार है उसका प्रयोग करने में भी उनकी कोई रूचि नहीं। ऐसा भला क्यूँ कर हो सकता है?

आज सुबह सुबह वोट डालकर मैंने तो अपनी मर्जी का बटन दबा दिया है। अब आप कब वोट डालने जा रहे हैं ? 





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