चिड़िया का घोंसला: माता-पिता के लिए एक सीख



पिछले महीने एक दिन हमारे घर के दरवाजे के ऊपर एक चिड़िया ने अपना घोंसला बनाकर उसमें अंडे दे दिए। हमारा मन उत्सुकता से भर गया और चिड़िया की गतिविधियों पर नजर रखना हमारा रोज का नियम बन गया। समय के साथ, चिड़िया ने अंडों को सेया और घोंसले में दो नन्हे नन्हे बच्चे आ गए।

हमने देखा कि चिड़िया एक माँ की तरह अपने बच्चों की देखभाल कर रही थी—उनके लिए खाना जुटाना, उन्हें खिलाना, अपने शरीर की गर्मी से उन्हें गर्म रखना आदि। धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे।

करीब एक हफ्ते बाद मैंने एक अनोखी बात देखी; चिड़िया बच्चों के पंखों को अपनी चोंच से सहला रही थी और उन्हे ऊपर नीचे कर रही थी। शुरुआत में यह देखकर हम हैरान थे, लेकिन बाद में समझ आया कि वह अपने बच्चों को उड़ने के लिए तैयार कर रही थी। लग रहा था की वह अपने बच्चों को कह रही हो - समय आ गया है, अब तुम अपनी खुद की उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाओ। 

कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा, और फिर एक दिन दोनों बच्चे घोंसले से उड़ गए।

इस अनुभव मे मुझे सभी माता-पिताओ के लिए एक गहरी सीख दिखती है। अक्सर हम लोग अपने बच्चों को जरूरत से ज्यादा सुरक्षा और मदद देने लगते हैं, चाहे वो कितने ही बड़े न हो जाएँ। हमे लगता है कि हमारी मदद के बिना हमारा बच्चा कुछ नहीं कर पाएगा। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दें, ताकि वे स्वतंत्र बन सकें। और जब बच्चे आत्मनिर्भर हो जाएं, तो हमें उन्हें अपनी उड़ान भरने देना चाहिए और अत्यधिक सुरक्षा देना बंद करना चाहिए।

इसका मतलब यह नहीं कि हम उन्हें प्यार करना बंद कर दें या support ही न करें। बल्कि हमें over-protective नहीं होना चाहिए और उन्हें धीरे-धीरे Independent बनाने का प्रयास करना चाहिए, जैसे कि उनको अपने फैसले खुद लेने देना चाहिए और अपनी गलतियों से सीखने देना चाहिए। 

इससे हमारे बच्चे अधिक जिम्मेदार और परिपक्व वयस्क जीवन जी पाएंगे।