A Poet with a Difference


Most poets habitually look at the darker side of life, but Kunwar Bechain stands apart on this count. I had an opportunity to listen to his recital in a Kavi Sammelan yesterday and instantly became his fan when I discovered that his poems are full of hope, optimism, and positive thinking. Very often, a small poem can convey a message much more effectively than a long prose. 
Read his poems below and decide for yourself.
 
1. How to be Happy 
सबकी बात माना कर, खुद को भी पहचाना कर।
दुनिया मे जीना है तो, कुछ अम्रत पीना है तो,
दुनिया से लड़ना है तो, अपनी ओर निशाना कर।

तुमने फूल भी काँटे भी, कुछ पाये कुछ बाँटे भी,
तेरे साथ रहे हर दम, मेले भी सन्नाटे भी,
धूप अगर बरसात भी है, दिन है तो फिर रात भी है,
गर्मी सर्दी सहते दिन, नही एक से रहते दिन,
सुख दुख दोनो के घर मे, अपना आना जाना कर।

ये जो यार मोहब्बत है, ये तो कागज़ की छत है,
अंगारों मे बहती है, आँसू पीती रहती है,
रखना इसे हिफाज़त से, इसे बचा हर आफत से
तू है अगर मोहब्बत में, लिख दे ये प्रिय को खत मे,
या तो दीवाना हो जा, या मुझको दीवाना कर।

खुश होना सबसे मिलकर, रहना फूलों सा खिलकर,
सच की राहों पे चलकर, राहों को ही मंज़िल कर,
प्रिय मे अपनी प्यास जगा, मधुर मिलन की आस जगा,
सबको ही मनमीत बना, दर्द मिले तो गीत बना,
दुनिया बहुत सुहानी है, इसको और सुहाना कर।

2. Staying Positive in Adversity
और सब तो ठीक है बस एक यह उलझन ही है,
वो जो मेरा दोस्त है वो मेरा दुश्मन भी है।

दो चार बार हम जो कभी हंस हंसा लिये,
सारे जहाँ ने हाथ मे पत्थर उठा लिये।

रहते हमारे पास तो ये टूटते ज़रूर,
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिये।

दुनिया ने मुझ पे फैंके थे पत्थर जो बेहिसाब,
मैने उन्ही को जोडकर कुछ घर बना लिये।

संटी की तरह मुझ को मिले ज़िन्दगी के दिन,
मैने उन्ही मे बाँसुरी के स्वर बना लिये।

3. Ultimate Advice on How to deal with Bitterness
रोज़ जब घूमने को जाता हूँ, नीम की पत्तियाँ चबाता हूँ,
जितनी कडवाहटें हैं दुनिया में, मैं उन्ही को दवा बनाता हूँ।

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