What do we think is the value of our
life? Here is an inspiring short story that answers this question beautifully.
दीपक अपने गुरु के
पास गया और
पूछा, “गुरूजी
जीवन का मूल्य
क्या है ?”
गुरू
ने उसे एक
नग दिया और कहा जाओ
इस नग का मूल्य
पता करो लेकिन ध्यान
रहे कि नग को बेचना नही है।
दीपक नग को
बाजार मे लेकर पहुंचा और एक फल वाले को
दिखा कर
पूछा, "बताओ इसकी
कीमत क्या है
?" फल वाला चमकीले
नग को देखकर
बोला, “बारह संतरे
ले जाओ और
इसे मुझे दे
दो।" दीपक फल वाले
से बोला, "गुरूजी ने
कहा है इसे
बेचना नही है।"
और
आगे एक सब्जी
वाले के पास
गया और उसे
नग दिखाया। सब्जीवाले ने
उस चमकीले नग
को देखकर कहा, "एक बोरी
आलू ले जाओ
और इस नग
को मेरे पास
छोड़ जाओ।" दीपक
ने कहा, “मुझे इसे
बेचना नही है
मेरे गुरूजी ने
मना किया है।"
आगे
एक सुनार के
पास गया और
उसे नग दिखाया। सुनार
उस चमकीले नग
को देखकर बोला,
"पचास
लाख मे बेच
दो।" उसने
मना कर दिया
तो सुनार बोला,
"दो करोड़ मे
दे दो या
बताओ इसकी कीमत,
जो माँगोगे वह
दूँगा।" दीपक
ने सुनार से
कहा, "मेरे गुरूजी ने
इसे बेचने से
मना किया है।"
आगे
हीरे बेचनेवाले एक
जौहरी के पास
गया और् उसे नग दिखाया। जौहरी
ने जब उस
बेशकीमती नग को देखा तो
पहले उसने नग के
पास एक लाल
कपडा बिछाया, फिर
उस नग की
परिक्रमा लगाई, माथा टेका,
फिर जौहरी बोला,
"कहाँ
से लाये हो
यह नग? सारी कायनात,
सारी दुनिया को
बेचकर भी इसकी
कीमत नही लगाई
जा सकती ये
तो बहुमूल्य
है।"
दीपक
हैरान परेशान होकर
सीधे गुरू के
पास गया, अपनी आपबीती बताई और
बोला, "अब बताइये गुरूजी
मानव जीवन का
मूल्य क्या है?"
गुरू
बोले, "तुमने पहले नग को फल वाले को
दिखाया, उसने इसकी
कीमत बारह संतरे की
बताई। आगे सब्जीवाले के
पास गये उसने
इसकी कीमत एक
बोरी आलू बताई।
आगे सुनार ने
दो करोड़ बताई और जौहरी
ने इसे बहुमूल्य बताया। ऐसे ही तुम्हारे जीवन का मूल्य खुद तुम पर निर्भर करता है - इसे
तुम बारह संतरे
मे बेच दो
या एक बोरी
आलू मे या
दो करोड़ मे या फिर
इसे बहुमूल्य
बना लो, ये
तुम्हारी सोच पर निर्भर है
कि तुम अपने जीवन
को किस नजर
से देखते हो।"
Wonderful, inspiring and thought provoking story Sir.
ReplyDeleteEcho's your profile's synopsis.
You are not what you think are, but what you think, you are!
Thanks a lot Abhay for the kind words.
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