शब-ए-वस्ल - मिलन की शाम


Time flies when we are together. Many poets have captured this feeling in their writings. Here is a selection of shayari on the topic. 

1. अमीर मीनाई

शब-ए-वस्ल क्या मुख्तसर (short) हो गई

कि आते ही आते सहर हो गई                 


वस्ल का दिन और इतना मुख्तसर

दिन गिने जाते थे जिस दिन के लिये          


इधर देखो हया कैसी शब-ए-वस्ल

उठाओ भी ये परदा दरम्यां से


 2. मीर तक़ी मीर

वस्ल इसका खुदा नसीब करे

मीर जी चाहता है क्या क्या कुछ                


 वस्ल मे रंग उड गया मेरा

क्या जुदाई को मुंह दिखाऊंगा                  


 3. हसरत मोहानी

वस्ल की रात चली एक ना शोखी उनकी

कुछ ना बन आई तो चुपके से कहा मान गये  

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