ओ रे माझी - खुदा और नाखुदा


माना तूफ़ाँ के आगे,  नहीं चलता ज़ोर किसी का,

मौजों का दोष नहीं है,  ये दोष है और किसी का

मजधार में नैया डोले,  तो माझी पार लगाये

माझी जो नाव डुबोये,  उसे कौन बचाये।


यह गीत तो हम सभी ने सुना है, इस से एक नाविक या मांझी (sailor) की अहम् भूमिका का आभास होता है। मांझी के लिए नाखुदा शब्द का भी प्रयोग किया जाता है - और जिस प्रकार नाखुदा नैया को पार लगाता है, ईश्वर या खुदा हमारी जीवन की नाव को पार लगाने में मदद करता है। खुदा और नाखुदा शब्दों की समीपता ने बहुत खूबसूरत शायरी को जन्म दिया है।  आज ऐसी ही कुछ नायाब शायरी प्रस्तुत हैं।


तूफां का खौफ किसलिये, कश्ती की फ़िक्र क्यूँ,

बन्दे खुदा सा जब तुझे, नाखुदा मिला।


अच्छा यकीं नही है तो कश्ती डुबो के देख

एक तू ही नाखुदा नही ज़ालिम खुदा भी है।  - कतील शिफई


तुम्ही तो हो, जिसे कहती है नाखुदा दुनिया

बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं।       - मजाज


 ना कर किसी पे भरोसा, के कश्तियां डूबें

खुदा के होते हुए, नाखुदा के होते हुए।        - अह्मद फराज़ 


 नाखुदा को खुदा कहा है, तो फिर

डूब जाओ, खुदा खुदा न करो।                 - सुदर्शन फाकिर


 किनारों से मुझे ऎ नाखुदा, दूर ही रखना

वहां लेकर चलो, तूफां जहां से उठने वाला है।    - अली अह्मद ज़लीली


अहसान नाखुदा का उठाये मेरी बला

कश्ती खुदा पे छोड दूं, लंगर को तोड दूं।     -ज़ौक़


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