Denominator लगाया क्या?


गुप्ता जी अपने बेटे रितेश की पढ़ाई को लेकर बड़े चिंतित थे। दो साल पहले रितेश जब 6th क्लास मे आया, तबसे उसके नंबर बस पास आने लायक ही आ रहे थे। गुप्ता जी ने उसे एक ट्यूशन भी लगाई, जिसके चलते उसके नंबर हर साल थोड़ा बेहतर होते गए, परंतु अब भी कालोनी के दूसरे सभी बच्चे उससे बहुत आगे रहते। गुप्ता जी चाहते थे कि उसका रिजल्ट और भी बेहतर हो। इसीलिए 9th क्लास की ट्यूशन के लिए गुप्ता जी ने एक दूसरे टीचर, अग्रवाल सर को संपर्क किया। 

अग्रवाल सर ने उनकी समस्या सुनी, 8th की marksheet देखी और फिर कुछ सोचने लगे। थोड़ी देर सोचने के बाद बोले,

"आपका बच्चा होनहार है, बस थोड़ी Guidance और मेहनत की जरूरत है, और ये कालोनी के top बच्चों मे शामिल हो सकता है।"

गुप्ता जी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, 

"इसके लिए क्या करना होगा सर?"

"मेरा पहला सुझाव है कि आप इसका स्कूल बदलें, सिटी पब्लिक स्कूल (CPS) से निकाल कर इसे ग्लोबल पब्लिक स्कूल (GPS) में दाखिला दिलाएं।", सर ने जोर देकर कहा। 

सर का confidence देखकर उन्होंने रितेश को GPS मे दाखिला दिलाया और अग्रवाल सर की ट्यूशन लगा दी।  उन्हे उम्मीद बंध गई थी कि यह उनके बेटे के जीवन मे एक निर्णायक मोड है। 

9th के रिजल्ट आए तो वे बेहतर थे। शाम को जब अग्रवाल सर घर आए, वे बोले, "गुप्ता जी मुंह मीठा कराइए, आपके बेटे की मेहनत रंग लाई इसने इस साल बहुत अच्छे मार्क्स लाकर आपको गौरान्वित किया है । 8th मे इसके मार्क्स  280 थे जो इस साल बढ़कर 375 हो गए गए हैं।" 

गुप्ता जी खुशी के मारे फूले नहीं समाए। 

सर ने आगे कहा, "और एक खुशखबरी है, इस साल रितेश अपने मार्क्स के बल पर कालोनी के टॉप 3 बच्चों मे पहुँच गया हैं - ये देखिए टॉप 4 मार्क्स:

1. आरव - 380,   2. विहान - 376  3. रितेश - 375  4. अर्जुन - 370 

 मुझे यकीन है कि यदि ये ऐसे ही मेहनत करता रहा तो एक दिन इसके नंबर टॉप पर पहुँच सकते है।"

गुप्ता जी ने रितेश को प्यार से गले लगा लिया और मिठाई मँगवाकर सबको खिलाई। परंतु न जाने क्यूँ उन्हें ऐसा लग रहा था कि इसमे कुछ पेंच तो है। 

सर के जाने के बाद उन्होंने अपनी बेटी सोम्या को बुलाया जो 6th क्लास मे थी और Maths मे होशियार थी, उन्होंने उससे पूछा, 

"सोम्या, क्या यह सही है कि रितेश ने इस साल बहुत बेहतर मार्क्स लाकर अर्जुन को पीछे छोड़ दिया है?"

"हाँ पापा, रितेश भैया के मार्क्स इस बार पिछले साल से थोड़ा ज्यादा हैं, पर अर्जुन का रिजल्ट उनसे बेहतर है।", सौम्या बोली।  

"ये तुम क्या कह रही हो। 280 से बढ़कर 375 मार्क्स हो गए हैं, और रितेश के 370 ही हैं, क्या ये सही नहीं?", गुप्ता जी समझ नहीं पा रहे थे। 

"ये बिल्कुल सही है पापा, पर ये सिर्फ Numerator है Denominator तो लगाया ही नहीं।", सौम्या बोली। 

"मतलब?"

"मतलब ये कि आरव, विहान, और अर्जुन CPS स्कूल मे हैं, जहां Total Marks 400 हैं, रितेश भैया इस साल GPS स्कूल मे हैं जहां Total Marks 500 हैं. यदि हम Total Marks को Denominator मे डाल कर percentage निकालें तब सही तस्वीर सामने आएगी। 

पिछले साल भैया की Percentage 280/400 यानि 70% थी इस साल 375/500 यानि 75% है। 

अर्जुन की Percentage 370 / 400 यानि  93% है, इसलिए वो कालोनी मे 3rd है न कि भैया।"  

गुप्ता जी को अब थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा था, वे रितेश की मेहनत और रिजल्ट पर अब और भी खुश थे, क्यूंकि अब ये सब वास्तविक लग रहा था। वैसे भी उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा पढ़ाई मे तरक्की करे, पर इस बात की ज्यादा चिंता न थी कि और बच्चों का रिजल्ट उससे बेहतर है।  वे सोम्या की होशियारी से भी गदगद हो गए,

"शाबास सोम्या, इतनी Advanced Calculation तुमने कब और कहाँ सीखी?"

"पापा ये तो बड़ी बेसिक सी Fraction Arithmatic है जो  हमने 4th क्लास में पढ़ी थी। दो fractions की तुलना करनी हो तो Numerator और Denominator दोनों लगाने चाहिए, सिर्फ Numerator की तुलना करने से बड़े गलत नतीजे आ सकते हैं, 

जैसे कि 3/4  और 5/8 मे कौनसा नंबर बड़ा है?

यदि हम सिर्फ Numerator देखें तो सोचेंगे कि 5/8  बडा है जबकि वास्तव मे 3/4  बड़ा है।"  


गुप्ता जी को तो उस दिन अपनी बेटी की बात समझ आ गई, और हो सकता है कि ये प्रसंग आपको थोड़ा बचकाना लगे, पर अपने आस पास गौर से देखेंगे तो आपको आम जीवन मे कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जहां इस 4th क्लास की बेसिक Arithmatic का प्रयोग कर आप भ्रामक नतीजों से बच सकते हैं । 

जब भो आप ऐसा कोई इक तरफा Comparison होते देखें तो ये सवाल पूछें,


"Denominator लगाया क्या?"


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